ईंधन के लिए सौदी की निर्भरता कम करें – सरकार के राष्ट्रीय ईंधन कंपनियों को आदेश

नई दिल्ली – माँग बढ़ने के बावजूद ईंधन का उत्पादन कम रखकर ईंधन की कीमतें बढ़ानेवाले देशों को सबक सिखाने की तैयारी भारत ने की है। इसके अनुसार भारत ने सौदी अरब से हो रही ईंधन की खरीद २५ प्रतिशत कम की है। साथ ही, ईंधन के लिए मात्र सौदी अरब पर निर्भर ना रहें और अन्य विकल्प खोजने के आदेश भारत ने अपनी ईंधन कंपनियों को दिए हैं। इस पर कार्रवाई शुरू हुई है और अफ्रीका के गयाना से करीब दस लाख बैरल्स ईंधन लेकर एक टैंकर भारत की दिशा में रवाना हुआ है। अगले दिनों में भारत अफ्रीकी देशों से बड़ी मात्रा में ईंधन की खरीद करेगा, ऐसा ऐलान पेट्रोलियममंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में किया था। यह निर्णय भारत को ईंधन का सबसे अधिक निर्यात कर रहे सौदी एवं खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों को सबक सिखानेवाला होने की बात दिख रही है।

कोरोना संक्रमण के बाद विश्‍वभर में ईंधन की माँग में गिरावट हुई थी। इस वजह से ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ संगठन ने भी ईंधन का उत्पादन कम किया था। लेकिन, अब विश्‍वभर में ईंधन की माँग बढ़ने लगी है। ऐसी स्थिति में ईंधन का उत्पादन बढ़ाने की बिनती भारत ने ‘ओपेक’ को की थी। लेकिन, विश्‍व में सबसे अधिक ईंधन खरीद रहे तीसरे क्रमांक का देश बने भारत की इस माँग को ‘ओपेक’ ने नज़रअंदाज किया। ‘ओपेक’ एवं ‘ओपेक’ पर बढ़ा प्रभाव रखनेवाले सौदी अरब को लक्ष्य करने के लिए भारत के पेट्रोलियममंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ईंधन का उत्पादन बढ़ाने के लिए आवाहन किया। ईंधन की कीमतों की कृत्रिम बढ़ोतरी के कारण भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है, इस ओर प्रधान ने ध्यान आकर्षित किया। इस पर सौदी के ईंधनमंत्री ने आक्रामक प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी।

भारत को सस्ता ईंधन चाहिये तो बीते वर्ष कीमतें कम थीं, भारत तभी खरीदे हुए ईंधन के भंड़ार का इस्तेमाल करे, ऐसी फटकार सौदी के ईंधनमंत्री ने लगाई थी। इसके बाद भारत और सौदी के बीच ईंधन की कीमतों के मुद्दे पर मतभेद बढ़े थे। भारत ने सौदी से हो रही ईंधन की खरीद २५ प्रतिशत कम करने का निर्णय किया। भारत यह कटौती ना करे, इसके लिए सौदी ने कोशिश शुरू की थी।

लेकिन, देश की ८५ प्रतिशत ईंधन की ज़रूरत आयात से पूरी कर रहें भारत को इस पर सख्त निर्णय करना पड़ रहा है। बीते वर्ष भारत ने तकरीबन १२० अरब डॉलर्स का ईंधन खरीदा था। इस वर्ष ईंधन का बिल इससे अधिक ना हो, इसके लिए भारत ने अपनी तैयारी शुरू की है।

इसके अनुसार भारत ने सौदी एवं खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों पर निर्भरता कम करके ईंधन खरीदने के अन्य विकल्पों पर काम शुरू किया है। ईंधन की किमतें कम होने की स्थिति में भी खरीदने का अन्य विकल्प ग्राहक देशों के सामने होना ही चाहिये। लेकिन, सौदी और खाड़ी देशों से ईंधन खरीदते समय भारत को यह सुविधा प्राप्त नहीं होती। लेकिन, अगले दौर में अपने राष्ट्रीय हित के नज़रिये से भारत को ऐसी सहुलियत देनेवाले देशों से ही ईंधन खरीदना लाभदाई साबित होगा। इसी कारण ईंधन के लिए अफ्रीकी एवं अन्य देशों का विकल्प भारत के लिए आवश्‍यक होने की बात कुछ अफसरों ने कही है।

अफ्रीका के गयाना देश से करीबन दस लाख बैरल्स ईंधन के साथ निकला टैंकर जल्द ही भारत पहुँचेगा। अमरीका और रशिया से भी ईंधन की खरीद बढ़ाने का निर्णय भारत ने किया है। साथ ही भारत की ईंधन खरीद में से करीबन १५ प्रतिशत ईंधन भारत अफ्रीकी देशों से खरीदता है। इसमें बढ़ोतरी की जाएगी, यह ऐलान पेट्रोलियममंत्री ने कुछ दिन पहले ही किया था।

नाइजीरिया, अंगोला, अल्जेरिया, इजिप्ट जैसे अफ्रीकी देशों से भारत पहले से ही ईंधन खरीदता रहा है। अब कैमेरॉन, चाड़ और घाना से भी भारत ईंधन की खरीद बढ़ा रहा है। क्या इससे भारत-सौदी संबंधों में तनाव बढेगा, यह सवाल माध्यम कर रहे हैं। लेकिन, ईंधन का उत्पादन और कीमतों के कारण निर्माण हुए मतभेदों का अपवाद छोड़कर भारत और सौदी के संबंध सौहार्दपूर्ण रहे हैं। खाड़ी क्षेत्र में अनिश्‍चितता का माहौल होते हुए भारत और सौदी अरब के सहयोग की अहमियत अधिक बढ़ी है।

भारत के सेनाप्रमुख ने कुछ महीने पहले सौदी की यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के रक्षा संबंधित सहयोग मज़बूत करने पर सहमति हुई थी। भारत और सौदी की सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू होगा, ऐसी खबरें भी प्रसिद्ध हुई थी। ऐसें में, भारत में करीबन १०० अरब डॉलर्स का निवेश सौदी करेगा, यह बात पहले ही स्पष्ट हुई थी। ऐसी स्थिति में ईंधन के कीमतों को लेकर निर्माण हुए मतभेद अधिक तीव्र होना भारत और सौदी दोनों के हित में नहीं होगा। दोनों देशों को इसका अहसास होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। सौदी के क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने कुछ दिन पहले ही भारत के प्रधानमंत्री से फोन पर बातचीत की थी।

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