भरोसेमंद ‘सप्लाई चेन’ विकसित करने की ज़रूरत – ‘एससीओ’ की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी की चीन को दो टुक

समरकंद – ‘पहले कोरोना का संकट और बाद में यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक ‘सप्लाई चेन’ बाधित हुई है। इससे पूरे विश्व को अभूतपूर्व ऊर्जा और अन्न संकट का सामना करना पड़ रहा है। इससे फिलहाल विश्व को भरोसेमंद लचिली और विविधतापूर्ण सप्लाई चेन की ज़रूरत है। ‘एससीओ’ देशों को अपने क्षेत्र में ऐसी सप्लाई चेन विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए’, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। साथ ही ऐसी सप्लाई चेन विकसित करने के लिए अच्छी कनेक्टिविटी की ज़रूरत होगी। इसके अलावा हम सबको एक-दूसरे को अपने क्षेत्र से ‘ट्रांज़िट’ का पूरा अधिकार बहाल करना अहम होगा, यह बात भी प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित की। उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित ‘शांघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी बोल रहे थे।

‘सप्लाई चेन’वैश्विक सप्लाई चेन के अहम देश चीन की विश्वास्नीयता कोरोना के संकट की वजह से खत्म हुई है। चीन के ऊर्जा और अन्य संकटों के कारण अब भी चीन का उत्पाद क्षेत्र सामान्य स्तर पर नहीं आ पाया है। ऐसी स्थिति में किसी भी एक देश पर निर्भर रहबे के बजाए सप्लाई चेन में विविधता लाएं, भारत यह आग्रह करता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन होने का दावा कर रहे चीन की सप्लाई चेन में अहमियत कम हुई है और ऐसे में आयोजित ‘एससीओ’ की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास्नीय, लचिली और विविधतापूर्ण सप्लाई चेन विकसित करने की आवश्यकता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री मोदी ने चीन का नाम नहीं लिया, फिर भी उनका यह बयान चीन के लिए दो टुक होने की बात स्पष्ट होती है। साथ ही ‘एससीओ’ के सदस्य देशों को एक-दूसरे को ‘ट्रांज़िट’ का पूरा अधिकार प्रदान करना पडेगा, ऐसी भूमिका अपनाकर प्रधानमंत्री ने अप्रत्यक्ष ढ़ंग से पाकिस्तान को भी सुनाया है। पाकिस्तान ने अफ़गानिस्तान में व्यापार के लिए ज़रूरी यातायात के लिए भारत को मार्ग देने से इन्कार किया था।

पूरा विश्व कोरोना की महामारी के बाद अर्थव्यवस्था सामान्य स्तर पर लाने की कोशिश में लगा हुआ है और तभी ‘एससीओ’ की भूमिका अहमियत बढी है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कहा। क्योंकि, ‘एससीओ’ के देशों में विश्व की ४० प्रतिशत आबादी बसती है और वैश्विक जीडीपी में इन देशों का हिस्सा ३० प्रतिशत है, इस पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने ध्यान आकर्षित किया। ‘भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र के तौर पर विकसित करने का ध्येय हमने रखा है। इस दिशा में भारत प्रगति कर रहा है। भारत का विकास दर विश्व में सबसे अधिक है। साथ ही भारत में ७५ हज़ार स्टार्टअप्स की चेन निर्माण हुई है। इनमें १०० युनिकॉर्न कंपनियाँ हैं। भारत ‘एससीओ’ के सदस्य देशों को अपने अनुभव का उपयोग कराएगा। इन देशों को इससे बड़ा लाभ हो सकता है। इसके लिए भारत ‘स्पेशल वर्कींग ग्रूप ऑफ स्टार्टअप ऐण्ड इनोवेशन’ का गठन कर रहा है’, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने घोषित किया। अन्य देशों को कर्ज़ के जाल में फंसाकर उन्हें निचोड़ रहे चीन जैसे देशों का और सबकी सहायता के लिए भाग रहे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के व्यक्तित्व का फरक इसके ज़रिये रेखांकित करने की कोशिश करते हुए प्रधानमंत्री मोदी दिख रहे हैं।

इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करके द्विपक्षीय चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारतीय छात्रों को वहां से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रशिया द्वारा प्रदान की गई सहायता के लिए आभार व्यक्त किया। इस द्विपक्षीय चर्चा के दौरान विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई। यह युग युद्ध का नहीं है, ऐसा ड़टकर कहते हुए प्रधानमंत्री ने अनाज, ईंधन, खाद की सुरक्षा की चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए और इसका हल राजनीतिक चर्चा से निकाला जा सकता है, ऐसा कहा। हमें भारत की चिंता का अहसास होने का बयान राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किया। हमें जल्द से जल्द यह सब खत्म करना है। लेकिन, यूक्रेन को युद्ध से अपना उद्देश्य प्राप्त करना है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा।

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष शौकत मिरज़ोयेव के साथ द्विपक्षीय चर्चा की। उसके बाद तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री मोदी के बीच द्विपक्षीय चर्चा हुई। इसी बीच, लद्दाख में चीन के घुसपैठ से निर्माण हुए तनाव के लगभग २८ महीनों बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग एक ही बैठक में मौजूदगी इस बैठक की विशेषता रही। लेकिन, इन दोनों नेताओं में द्विपक्षीय चर्चा नहीं हुई। लद्दाख के ‘एलओसी’ पर स्थित ‘पेट्रोलिंग पॉईंट १५’ से चीन ने अपनी सेना पीछे हटाई है। चीन ने अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाया तो ‘एससीओ’ की बैठक के लिए प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित नहीं रहेंगे, ऐसा संदेश भारत द्वारा भेजे जाने के बाद चीनी सेना को हटाया गया, ऐसी खबरें प्राप्त हो रही हैं।

‘जी-२०’ के बाद भारत को ‘एससीओ’ का अध्यक्षपद मिला

समरकंद – ‘शांघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ का २०२३ का अध्यक्षपद भारत को मिला है। मौजूदा अध्यक्षपद उज्बेकिस्तान के पास था। शुक्रवार को आयोजित ‘एससीओ’ की बैठक के बाद यह अध्यक्षपद भारत को दिया गया। इस वजह से अगले साल भारत की अध्यक्षता में ‘एससीओ’ की बैठक का भारत में ही आयोजन होगा।

आठ सदस्य और चार ऑब्ज़र्वर्स के ‘एससीओ’ का अध्यक्षपद भारत को मिलना, बड़ी अहमियत रखता है। चार साल पहले भारत को ‘एससीओ’ की सदस्यता मिली थी। खास बात तो यह है कि, भारत को अध्यक्षपद बहाल करने के लिए चीन ने भी समर्थन किया था तथा रशिया ने भी भारत का समर्थन किया था।

इससे पहले भारत को एक साल के लिए ‘जी २०’ का अध्यक्षपद मिला है। सितंबर २०२३ में भारत में ‘जी २०’ देशों के प्रमुखों की बैठक का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले भारत अपनी अध्यक्षता में ‘जी-२०’ देशों की विभिन्न स्तर की २०० बैठकों का आयोजन करेगा। एक ही वर्ष में ‘जी २०’ और ‘एससीओ’ जैसे वैश्विक संगठनों का अध्यक्षपद भारत को प्राप्त होना बड़ी अहमियत की घटना है।

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