सीरिया हवाई हमले को लेकर रशिया का अमरीका पर इल्ज़ाम

मॉस्को, दि. २७ (वृत्तसंस्था) – ६२ सीरियन जवानों की जान लेनेवाले अपने हवाई हमले से दुनिया का ध्यान दुसरी ओर मोड़ने के लिए अमरीका अलेप्पो में हुए हमले को लेकर रशिया पर आरोप कर रहा है, ऐसी आलोचना रशिया ने की| वहीं, रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने अमरीका पर जोरदार आलोचना करने के साथ ही, संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ब्रिटन और फ्रान्स ने किए आरोपों की भी ख़बर ली| साथ ही, अमरिकी सेना अपने राष्ट्रप्रमुख के आदेशों का पालन नहीं करती, ऐसी टिप्पणी भी लॅव्हरोव्ह ने की|

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रशिया और अमरीका की अगुआई में १२ सितंबर को सीरिया में संघर्षविराम जारी कर दिया गया| इस संघर्षविराम के पाँच ही दिन हुए थे कि तभी १७ सितंबर को पूर्व सीरिया के ‘देर अल-झोर’ शहर में सीरियन सेना के बेस पर, अमरिकी तथा दोस्त राष्ट्रों के लड़ाकू प्लेन्स ने तुफानी हवाई हमले किए| इन हवाई हमलों में ६२ सीरियन जवान मारे गये और सैंकड़ों घायल हुए| वे लड़ाकू प्लेन्स इराक में से सीरिया में दाखिल हुए थे|

लगभग घंटे भर सीरियन सेना पर चल रहे ये हवाई हमले यानी संघर्षविराम का हनन था, ऐसा आरोप रशिया और सीरिया ने किया था| इस हवाई हमले के लिए रशिया ने अमरीका से सवाल किया था| इसपर अमरीका के विदेशमंत्री जॉन केरी ने पूछताछ करने का आश्‍वासन भी दिया था| लेकिन दो ही दिन में अलेप्पो में, संयुक्त राष्ट्र के ट्रकों पर हुए हवाई हमले में ३१ ट्रक्स नष्ट हो गए और २० लोग मारे गए| इस घटना के बाद अमरीका और दोस्त राष्ट्रों ने, सीरियन जवानों पर हुए हमले के मसले को बाजू में रखकर अलेप्पो हमले का मुद्दा उठाया|

अमरीका, ब्रिटन और फ्रान्स इन देशों ने, ‘देर अल-झोर’ हमले पर से दुनिया का ध्यान विचलित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में अलेप्पो हमले का मसला उपस्थित कर रशिया को दोषी ठहराया, ऐसी आलोचना लॅव्हरोव्ह ने रशियन समाचार वाहिनी को दी मुलाकात में की| साथ ही, रशिया और सीरिया की हवाई मुहिम तुरन्त बंद करने की माँग भी अमरीका ने की| अलेप्पो पर हुए हवाई हमले के समय रशिया और सीरिया के लड़ाकू प्लेन घटनास्थल पर नहीं थे, यह रशिया की बात सुनी ही नहीं गयी, ऐसी नाराज़गी रशियन विदेश मंत्री ने जताई|

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‘देर अल-झोर’ हमले के बारे में पूछताछ के लिए अमरिकी विदेश मंत्री ने सहयोग देने की तैयारी दर्शायी थी| लेकिन अमरिकी सेना द्वारा की गयी आलोचना के बाद केरी ने ‘देर अल-झोर’ पर बोलने से इन्कार किया| साथ ही, अमरिकी सेना राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा के आदेशों का भी पालन नहीं करती, ऐसा दावा रशियन विदेशमंत्री ने किया|

दो हफ्ते पहले चीन में संपन्न हुई ‘जी-२०’ की बैठक में राष्ट्राध्यक्ष ओबामा और रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन की मुलाकात हुई थी| उस समय ओबामा ने पुतिन से की चर्चा में, सीरिया के मसले पर रशिया के साथ सहयोग करने के लिए सहमति दर्शायी थी| लेकिन अमरिकी सेना अपने राष्ट्रप्रमुख के आदेशों को मान नहीं रही है ऐसा सीरिया में चल रही कार्रवाई को देखते हुए ध्यान में आ सकता है, ऐसी टिप्पणी लॅव्हरोव्ह ने की| साथ ही, अमरीका की सीरिया विषय में यही नीति रही, तो इससे आगे अमरीका और दोस्त राष्ट्रों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, ऐसा भी रशियन विदेशमंत्री ने कहा|

इसी दौरान, अलेप्पो हमले के बाद सीरिया का संघर्ष फिर से भड़क उठा है| रशिया और सीरिया के लड़ाकू प्लेन्स लगातार चार दिनों से पूर्वी अलेप्पो पर हवाई हमले कर रहे हैं| इन इलाकों पर ‘आयएस’, ‘अल-नुस्र’ और इन आतंकी संगठनों से जुड़े विद्रोही संगठनों का कब्ज़ा हैं| इसलिए इन आतंकियों को यहाँ से खदेड़कर सम्पूर्ण अलेप्पो पर नियंत्रण प्राप्त करने की रशिया और सीरिया की योजना है|

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