रशिया में अराजकता और अस्थिरता फैल सकती है – राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के पूर्व सलाहकार का इशारा

Protests-in-Russiaमास्को – बंदी शासन या व्यवस्था में अराजकता बढ़ती रहती है, यह दावा करके अगले दिनों में रशिया में भी अराजकता और अस्थिरता फैल सकती है, यह इशारा राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के पूर्व सलाहकार व्लादिस्लाव सुर्कोव ने दिया| रशिया में बढ़ती अस्थिरता का खतरा बढ़ रहा है और इसे रोकना मुमकिन नहीं होगा| लेकिन, देश उदारतावादी प्रयोग करने की दिशा में ना बढ़े| ऐसी स्थिति से असफलता ही हाथ लग सकती है, यह इशारा सुर्कोव ने दिया| सुर्कोव ने वर्ष १९९९ से २०२० के दो दशकों में व्दादिमीर पुतिन के करीबी एवं सलाहकार के तौर पर काम किया था| इस वजह से उनका यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है|

‘ऐक्चुएल कमेंट’ नामक रशियन वेबसाईट पर लिखे गए लेख में सुर्कोव ने रशिया की स्थिति बयान की है| इसमें उन्होंने ‘सेकंड लॉ ऑफ थर्मोडायनैमिक्स’ का दाखिला देकर अव्यवस्था (डिसॉर्डर) हमेशा ही बढ़ती रहती है, यही विश्‍व का नियम होने की ओर ध्यान आकर्षित किया है| इसकी तुलना सामाजिक असंतोष से करके इस पर नियंत्रण रखने के लिए देश में मज़बूत हुकूमत की ज़रुरत होती है, ऐसा सुर्कोव ने कहा है| इसके बाद उन्होंने शताब्दी के आखिरी दशक एवं नई शताब्दी के पहले दो दशकों की रशिया की तुलना की है|

‘१९९० और उसके बाद के समय में रशिया में सामाजिक अराजकता फैली थी| लेकिन, लगातार आघात बर्दाश्त करने वाले देश को पुनर्ररचना से संभाला गया| इसके बाद २१ वीं शताब्दी के पहले दो दशकों में रशिया ने स्थिरता बनाए रखने में सफलता हासिल की है| अगले दिनों में यह दो दशक रशिया के लिए सुवर्ण काल के तौर पर जाने जाएँगे’, ऐसा पुतिन के पूर्व सलाहकार व्लादिस्लाव सुर्कोव ने कहा| लेकिन, आनेवाले दिनों में संभवत:, जल्द ही रशिया को अराजकता का मुकाबला करना पड़ेगा, यह इशारा भी उन्होंने दिया|

Surkov-Putinजनता की उम्मीदों को पूरा करने में असफल होने से रशिया में यह अराजकता निर्माण होगी, यह इशारा सुर्कोव ने दिया| ‘लेकिन, जनता में बढ़ते असंतोष का हल निकालने के लिए रशिया को अपनी राजनीतिक व्यवस्था अधिक खुली करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए| इससे नागरिकों का गुस्सा अनियंत्रित होकर फूटने का ड़र है और इससे निर्माण होनेवाली अस्थिरता का इलाज भी करना संभव नहीं होगा’, यह चेतावनी भी उन्होंने दी|

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन १९९९ से देश का नेतृत्व संभाल रहे हैं| आरंभिक दिनों में रशियन अर्थव्यवस्था को संभालकर स्थिरता प्रदान करनेवाले मज़बूत नेतृत्व के तौर पर पुतिन की पहचान बनी थी| लेकिन, बीते कुछ वर्षों में उनकी लोकप्रियता कम हो रही है और वे सत्ता पर अपनी पकड़ लंबे समय तक बरकरार रखने के लिए विरोध को रौंद रहे हैं, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं| इस वर्ष के शुरू में एलेक्सी नैवेल्नी के खिलाफ हुई कार्रवाई के मामले को लेकर रशिया में पुतिन के खिलाफ तीव्र प्रदर्शन भी हुए थे|

कुछ महीने पहले हुए चुनावों में पुतिन की पार्टी ने बहुमत कायम रखा है, फिर भी उन्हें प्राप्त हुए वोटों की मात्रा कम थी| रशिया के युवा वर्ग में पुतिन की लोकप्रियता कम हुई है, यह दावा भी एक सर्वेक्षण में किया गया था| इस पृष्ठभूमि पर पुतिन के साथ दो दशकों तक काम करनेवाले उनके सलाहकार का इशारा अहमियत रखता है|

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