रशिया के विदेश मंत्री लैव्हरोव्ह ईरान दौरे पर

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तेहरान – रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हारोव्ह ईरान में दाखिल होने का वृत्त हैं। ईरान ने रशिया, तुर्की, अज़रबैजान और आर्मेनिया के विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन किया है। इस बैठक के लिए विदेश मंत्री लैव्हरोव्ह उपस्थित रहेंगे, ऐसा ऐलान रशिया के विदेश मंत्रालय ने किया था। यह बैठक आर्मेनिया और अज़रबैजान के सरहदी नागोर्नो-काराबाख की गतिविधियों के लिए आयोजित करने की जानकारी ईरान ने साझा की थी। लेकिन, इस्रायल-हमास युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशियन विदेश मंत्री का ईरान पहुंचना दुनियाभर के माध्यमों का ध्यान खींच रहा हैं।

७ अक्टूबर के दिन हमास ने इस्रायल में घुसकर किए आतंकवादी हमलों के बाद चीन के अलावा दुनिया के सभी प्रमुख देशों ने इस्रायल के प्रति अपना समर्थन घोषित किया था। अमेरिका के विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन, रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन के बाद राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने इस्रायल का दौरा करके इस्रायल के पीछे खड़े होने का ऐलान किया था। जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषी सुनाक, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भी इस्रायल का दौरा करके समर्थन घोषित किया था।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष  व्लादिमीर पुतिन ने हमास के हमलों के बाद इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू से फोन पर बातचीत की थी। इस्रायल पर हमास ने किए हमले के पीछे ईरान होने का आरोप भी लगाया जा रहा है। साथ ही ईरान को चीन का समर्थन प्राप्त हैं और चीन ने ही अपने ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) को चुनौती देने वाले ‘इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (आईएमईईसी) परियोजना को नुकसान पहुंचाने के लिए ईरान और हमास के ज़रिये इस्रायल पर आतंकवादी हमला करवाया है, ऐसे आरोप भी लगाए जा रहे हैं।

ईरान और चीन की इस इस्रायल विरोधी रणनीति को क्या रशिया का समर्थन हैं, यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। इस्रायल हमास पर हमले कर रहा हैं और इसी दौरान ईरान और ईरान समर्थक हिजबुल्लाह इस्रायल को लक्ष्य ना करें, ऐसी कड़ी चेतावनी अमेरिका ने दी थी। इसके लिए अमेरिका ने अपने विशाल युद्धपोत भी इस क्षेत्र में तैनात किए थे। यह तैनाती अमेरिका ने ईरान के लिए ही करने की बात स्पष्ट हुई है। लेकिन, अमेरिका इस युद्ध का हिस्सा न हो, ऐसी चेतावनी रशिया ने दी है।

अमेरिका को रशिया ऐसी चेतावनी दे रही है, तभी अमेरिका के कुछ सांसदों ने ईरान और रशिया की मिली भगत होने के आरोप लगाना शुरू किया है। इसी पृष्ठभूमि पर रशियन विदेश मंत्री के ईरान दौरे की और दुनियाभर के निरिक्षकों की नज़रें लगी हैं। गौरतलब है कि, इसी बीच रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने हाल ही के दिनों में एक बैठक के लिए चीन का दौरा भी किया था।

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