रशिया का खाड़ी क्षेत्र में प्रभाव बढ़ रहा है – अमरीका के पूर्व राजनीतिक अधिकारी की चेतावनी

शिकागो – ‘सन १९७३ के अरब-इस्रायल युद्ध के बाद पहली ही बार रशिया खाड़ी क्षेत्र में होने वाले अमरीका के हितसंबंधों को झटका देकर, अपना वर्चस्व स्थापित करने की आक्रामक कोशिशें कर रहा है। रशिया की इन कोशिशों को ईरान द्वारा मिल रही सहायता, अमरीका के लिए खतरनाक साबित होगी’, ऐसी चेतावनी अमरीका के पूर्व राजनीतिक अधिकारी ने दी है। ट्रम्प प्रशासन में अहम भूमिका निभाने वाले राजनीतिक अधिकारी जेम्स जेफ्री की इस चेतावनी का सऊदी के माध्यमों में बहुत चर्चा चल रहा है।

‘वुड्रो विल्सन सेंटर’ इस अमरिकी अभ्यासगुट में ‘मिडल ईस्ट प्रोग्राम’ के अध्यक्ष होनेवाले जेफ्री ने माध्यमों के साथ बातचीत करते हुए अमरीका के नए राष्ट्रध्यक्ष ज्यो बायडेन को इशारा दिया। सीरिया में फिलहाल जारी युद्ध, यह अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा के प्रशासन की सबसे बड़ी गलती थी। क्योंकि इस युद्ध के कारण रशिया को सीरिया इस खाड़ी क्षेत्र के देश में अपना वर्चस्व निर्माण करने का नामचीन मौका मिला, इसका एहसास जेफ्री ने करा दिया।

सिरिया के युद्ध के बाद रशिया ने वहां अपना लष्कर तैनात किया होकर, इस स्थान पर रशिया के हवाई तथा नौसेना अड्डों की क्षमता बढ़ाई है। सिरिया युद्ध के कारण ही रशिया ने इस देश में अपनी ‘एस-४००’ यह हवाई सुरक्षा यंत्रणा तैनात की होने की याद जेफ्री ने कराई। सीरिया की तरह रशिया ईरान में भी अपने लष्करी अड्डों का निर्माण करने की सोच रहा है, ऐसा दावा जेफ्री ने किया।

ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए उत्सुक होने वाले अमरीका के बायडेन प्रशासन को जेफ्री ने खरी खरी सुनाई। बायडेन प्रशासन ईरान के साथ नए सिरे से कर रहे परमाणु समझौते के कारण, रशिया को खाड़ी क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाने में अधिक आसानी होगी, ऐसा जेफ्री ने कहा। यदि अमरीका ने ईरान के साथ परमाणु समझौता किया, तो सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमिरात (युएई) जैसे खाड़ी क्षेत्र के अमरीका के अरबमित्र देश, रशिया की ओर विकल्प के तौर पर देखेंगे। कुछ दिन पहले युएई ने, रशिया के साथ लष्करी सहयोग के बारे में सोचा जाएगा, ऐसा सूचक बयान किया था।

अमरीका ने ‘एफ-३५’ इन अतिप्रगत लड़ाकू विमानों की बिक्री पर रोक लगाने के बाद युएई ने यह धमकी दी थी। ईरान के साथ परमाणु समझौता करने के लिए कदम उठा रहे बायडेन प्रशासन को जेफ्री ने इसका एहसास करा दिया। सीरिया और ईरान इन दो देशों तक ही रशिया का प्रभाव सीमित नहीं रहा है। बल्कि तुर्की और इराक इन देशों में भी रशिया अपना प्रभाव बढ़ाता चला जा रहा है, ऐसा जेफ्री ने माध्यमों से बातचीत करते हुए कहा। सिरिया में रशिया ने, नाटो का सदस्य होने वाले तुर्की के साथ लष्करी मोरचा शुरू किया है, ऐसा जेफ्री ने कहा। उसी के साथ, तुर्की को रशिया ने ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की आपूर्ति भी की होने का हवाला दिया।

खाड़ी क्षेत्र से अमरीका की लष्करी वापसी यह रशिया और ईरान के बीच के सहयोग को नई गति देने वाली साबित होगी। यदि ऐसा हुआ, तो ईरान का आत्मविश्वास दोगुना होगा और इस क्षेत्र के अमरीका के मित्र देशों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी, ऐसी चेतावनी जेफ्री ने दी।

इसी बीच, सन १९७३ में इस्रायल और अरब देशों के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध से पहले, खाड़ी क्षेत्र के देशों में सोव्हिएत रशिया का प्रभाव था। वहीं, खाड़ी क्षेत्र से परे होने वाले अफगानिस्तान में सोव्हिएत रशिया के सैनिक भी तैनात थे। लेकिन १९८० के दशक के बाद रशिया का इस क्षेत्र में प्रभाव कम हुआ था। मगर बायडेन प्रशासन का गलत कदम रशिया के लिए खाड़ी क्षेत्र खुला कर देने वाला साबित होगा, इसका एहसास जेफ्री करा दे रहे हैं।

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