जयशंकर की अमरीका और रशिया के विदेशमंत्रियों से चर्चा

नई दिल्ली – यूक्रैन के मसले पर अमरीका और रशिया एक-दूसरे को युद्ध की धमकियां दे रहे हैं और ऐसे में इन दोनों देशों के विदेशमंत्रियों से भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर की फोन पर बातचीत हुई। सोमवार को अमरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन और मंगलावर को रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव से जयशंकर की बाचतीत हुई। जयशंकर ने इस बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया पर प्रदान की है। इसी बीच, चीन के सरकारी अखबार ने दावा किया है कि, अमरीका भारत का सहयोगी नहीं है बल्कि, चीन ही भारत का सच्चा सहयोगी है।

अमरीका और रशियाभारत और अमरीका की ‘टू प्लस टू’ चर्चा जल्द ही होने की उम्मीद है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी विदेशमंत्री से अपनी फोन पर बातचीत होने की जानकारी जयशंकर ने साझा की। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की मौजूदा स्थिति के साथ अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का मुद्दा इस चर्चा में शामिल था, ऐसा जयशंकर ने कहा। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता की वजह से अस्थिरता निर्माण हुई है। विशेष रूप से ताइवान की हवाई सीमा में चीन के लड़ाकू विमानों की घुसपैठ सिर्फ ताइवान की ही नहीं बल्कि, अंतरराष्ट्रीय स्तर की चिंता का विषय है। ऐसी स्थिति में अमरीका के विदेशमंत्री से चर्चा में ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की मौजूदा स्थिति’ का भी समावेश था, ऐसा कहकर जयशंकर ने इस चर्चा की उत्सुकता बढ़ाई है।

मंगलवार को भारत के विदेशमंत्री की रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव से फोन पर चर्चा हुई। ६ दिसंबर को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आए थे और उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सालाना द्विपक्षीय चर्चा हुई थी। इस चर्चा के बाद की स्थिति पर लैवरोव से हुई चर्चा पर गौर किया गया, ऐसा जयशंकर ने कहा है। लगातार एक-दूसरे से संपर्क बनाए रखने पर भी इस चर्चा में सहमति होने की जानकारी जयशंकर ने सोशल मीडिया पर साझा की। अमरीका और रशिया के विदेशमंत्रियों के साथ हुई भारतीय विदेशमंत्री की चर्चा कई कारणों की वजह से ध्यान आकर्षित कर रही है।

रशिया के साथ परंपरागत मित्रता का सहयोग कायम रखकर अमरीका के साथ सहयोग विकसित करना, भारतीय विदेश नीति के सामने की प्रमुख चुनौती समझी जा रही है क्योंकि, इन दोनों देशों को अपने प्रतिद्वंद्वि देशों से भारत का सहयोग मंजूर नहीं है। इसमें भी बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने रशिया के खिलाफ अधिक आक्रामक नीति अपनाई है। ऐसी स्थिति में भारत के रशिया के साथ जारी सहयोग पर अमरीका की तीव्र प्रतिक्रिया सामने आ रही है। अगले दिनों में मानव अधिकार एवं अन्य मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी बायडेन प्रशासन ने की है, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

इसी दौरान रशिया भी भारत ने चीन को लेकर अधिक उदार भूमिका अपनाने की माँग कर रही है। चीन की भारत को उकसानेवाली नीति को देखकर रशिया की यह माँग स्वीकारना भारत के लिए मुमकिन नहीं है। इसलिए अमरीका के खिलाफ रशिया-भारत और चीन ऐसा मज़बूत गठबंधन बनाने की रशिया की कोशिश सफल होने की ज्यादा संभावना नहीं है। भारत इस बात का अहसास रशिया को करा रहा है। इसलिए पहले इस मुद्दे पर तीव्र भूमिका अपनानेवाली रशिया में बदलाव होता दिख रहा है। लेकिन, भारत स्वार्थी अमरीका पर भरोसा ना करे, यह सलाह हमेशा भारत को लक्ष्य करनेवाले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाईम्स ने दी है। अमरीका नहीं, बल्कि चीन ही भारत का विश्‍वस्नीय सहयोगी होने का दावा इस अखबार ने किया है।

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