रुपया स्थिर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं

नई दिल्ली – चार दिन पहले भारतीय रुपये की अमरिकी डॉलर के सामने विक्रमी गिरावट हुई थी। लेकिन, धीर-धीरे रुपया संभल रहा है, यह बात पिछले दो दिन की गतिविधियों से स्पष्ट हो रही है। फिर भी रुपये की यह गिरावट चिंताजनक होने की चेतावनियाँ दी जा रही हैं। केंद्रीय आर्थिक व्यवहार विभाग के मंत्री ने इस मुद्दे पर जनता को भरोसा दिलाया था। ऐसे में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहल करके देश के निवेशक और कारोबारियों को आश्वस्त किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुँच रहा है, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था कई गुना अच्छी स्थिति में है। साथ ही रुपया मज़बूत करने के लिए ‘आरबीआई’ ने उचित कदम उठाए हैं। इसमें किसी भी तरह से समझौता नहीं किया जाएगा, यह ऐलान आरबीआई प्रमुख ने किया।

रुपया स्थिरयूक्रेन युद्ध और कोरोना संकट की वजह से विश्वभर की अर्थव्यवस्थाएं बाधित हुई हैं। विकसित देशों की मुद्रा भी विक्रमी गिरावट का सामना कर रही हैं। यूरोपिय देशों की ‘यूरो’ मुद्रा भी अमरिकी डॉलर के सामने टूटी है। यूरो की तरह ब्रिटिश पौंड और जापान के येन का मूल्य भी घट रहा है और चीन में ‘मॉर्टगेज क्राइसिस’ तैयार हो रही है, ऐसे इशारे भी दिए जा रहे हैं। साल २००८ में अमरीका में उभरे आर्थिक संकट की पुनरावृत्ति चीन से होगी और इसका असर पूरे विश्व पर पडेगा, ऐसी चेतावनी वृत्तसंस्थाएं दे रही हैं।

विश्वभर में ऐसी नकारात्मक गतिविधियों के बावजूद भारत की आर्थिक स्थिति पर इसका उतना ज्यादा असर नहीं पड़ा है, यह विश्वास आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने व्यक्त किया। विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है, यह दावा दास ने किया।

इसी बीच, अमरीका की फेड़रल रिज़र्व ने ब्याज़दरों की बढ़ोतरी करने से डॉलर को मज़बूती प्राप्त हुई। इस वजह से अन्य देशों की मुद्राएं मज़बूत हुए डॉलर के सामने कमज़ोर पड गईं। भारत के आर्थिक कारोबार विभाग के सचिव ने चार दिन पहले इस बात पर ध्यान आकर्षित किया था।

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