स्वीडन, फिनलैण्ड जल्द ही नाटो में शामिल होंगे – ब्रिटेन के अखबार का दावा

लंदन – ‘यूक्रैन पर हमला करके रशिया ने काफी बड़ी रणनीतिक गलती की है क्योंकि, इसकी वजह से रशिया के पड़ोस वाले यूरोप के नॉर्डिक देशों में असुरक्षितता की भावना बढ़ी है। इससे जल्द ही वे नाटो में शामिल होंगे और नाटो का विस्तार होगा’, यह दावा ब्रिटेन के शीर्ष अखबार ने किया। जून में स्वीडन और फिनलैण्ड नाटो के सदस्य बनेंगे, ऐसा इस अखबार ने कहा है। लेकिन, नाटो का विस्तार करके यूरोप में स्थिरता नहीं लौटेगी, यह इशारा रशिया ने दिया है।

sweden-finland-nato-2पिछले हफ्ते ब्रुसेल्स में नाटो देशों के विदेशमंत्रियों की बैठक हुई। यूक्रैन युद्ध और नाटो की भूमिका के मुद्दे पर इस बैठक में चर्चा हुई। रशिया का खतरा बढ़ने का बयान करके कुछ सदस्य देशों ने नाटो के विस्तार की माँग उठायी थी। ऐसे में नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने कहा था कि, रशिया की आक्रामकता के कारण पूर्वयूरोप के कुछ देश नाटो में शामिल होना चाहते हैं।

ब्रिटेन की ‘द टाईम्स’ नामक अखबार ने नाटो के विस्तार संबंधी खबर सोमवार को प्रसिद्ध की। इसमें आनेवाले जून महीने में रशिया के दो पड़ोसी देश नाटो में शामिल होंगे, ऐसा दावा किया गया है। डेढ़ महीना पहले यूक्रैन पर किया गया हमला रशिया की बड़ी गलती होने का बयान इस अखबार ने अमरिकी अफसर के दाखिले से किया है।

sweden-finland-nato-1जून में सबसे पहले फिनलैण्ड नाटो में शामिल होने का निर्णय लेगा और इसके बाद स्वीडन उसकी राह पर चलेगा, यह जानकारी इस अखबार ने साझा की। फिनलैण्ड की प्रधानमंत्री सैना मरिन ने कुछ दिन पहले नाटो के समावेश पर फिर से विचार करने की आवश्‍यकता होने का बयान किया था, इस ओर वर्णित अखबार ने ध्यान आकर्षित किया।

फिनलैण्ड और स्वीडन दोनों ने अब तक नाटो में शामिल होना टाल दिया था। दोनों देशों की जनता ने भी नाटो के समावेश का विरोध किया था। लेकिन, यूक्रैन युद्ध की वजह से इन दोनों देशों में जनमत बदल रहा है, ऐसा दावा ब्रिटेन के अखबार ने किया है।

अमरिकी अधिकारी के दाखिले से जारी इस खबर पर फिनलैण्ड और स्वीडन ने अभी बयान नहीं किया है। लेकिन, रशिया ने इस खबर का संज्ञान लिया है। साथ ही नाटो युद्धखोर संगठन है और युद्ध के लिए ही इसका गठन हुआ है, ऐसा आरोप रशियन सरकार के प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव ने लगाया। ऐसे सैन्य संगठन के विस्तार से यूरोपिय देशों में स्थिरता नहीं लौटेगी, यह इशारा पेस्कोव ने दिया।

इसी बीच, नाटो शीतयुद्ध के दौरान स्थापित सैन्य संगठन था। इसकी वजह से शीतयुद्ध खत्म होने के बाद इस संगठन को खत्म करना आवश्‍यक था। लेकिन, शीतयुद्ध के बाद भी यह संगठन सक्रीय रखकर अमरीका और नाटो ने अपनी मानसिकता दिखाई, यह आरोप रशिया लगा रही है। इसी बीच स्वीडन और फिनलैण्ड के नाटो में शामिल होने के मुद्दे पर रशिया ने पहले ही कड़े इशारे दिए हैं।

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