हाँगकाँग समेत अन्य मुद्दों पर युरोप और चीन में तनाव बढ़ा

ब्रुसेल्स/बीजिंग – चीन यह जर्मनी के लिए ‘हायब्रीड थ्रेट’ होकर, जर्मन कंपनियाँ और नागरिक चिनी कंपनियों के साथ व्यवहार करते हुए सावधानी बरतें, ऐसी चेतावनी जर्मन गुप्तचर यंत्रणा तथा वरिष्ठ मंत्री द्वारा दी गयी है। जर्मनी से यह चेतावनी दी जा रही है कि तभी फ्रान्स ने भी ५जी तंत्रज्ञान के लिए चीन की हुवेई कंपनी से सहायता लेनेवालीं स्थानीय कंपमियों पर पाबंदी लगाने का निर्णय किया है। उसी समय युरोपिय महासंघ ने मानवाधिकार और निवेश के मुद्दों पर चीन को आड़े हाथ लिया है। जर्मनी और फ्रान्स इन प्रमुख देशों के साथ महासंघ ने अपनाई यह भूमिका युरोप-चीन संबंधों में तनाव बढ़ रहा होने के संकेत दे रही है।

Hongkong-Issue-China-Europeपिछले महीने में युरोपीय महासंघ और चीन के प्रमुख नेताओं में व्हिडिओ कॉन्फरन्स के ज़रिये चर्चा हुई थी। इस चर्चा में महासंघ के नेताओं ने कोरोना की महामारी और चीन के साथ का व्यापार और निवेश समेत हाँगकाँग के मुद्दे पर भी आग्रही भूमिका रखी थी। हाँगकाँग यह हमारे लिए तीव्र चिंता का मुद्दा होकर, चीन ने यदि क़ानून लागू करने की कोशिश की, तो उसके बहुत गंभीर परिणाम भुगतने की तैयारी रखें, ऐसी कड़ी चेतावनी महासंघ ने चीन को दी थी। उसी समय, कोरोना की महामारी और चीन समेत का व्यापार और निवेश के मुद्दे पर भी महासंघ ने विरोध में नाराज़गी व्यक्त की थी। हाँगकाँग में सुरक्षा क़ानून पर अमल करना शुरू होने के बाद जर्मनी के विदेशमंत्री ने युरोप को मजबूरन चीन के साथ के संबंधों का पुनर्विचार करना पड़ेगा, इन शब्दों में खरी खरी सुनाई थी।

फिलहाल युरोपिय महासंघ का प्रमुख पद जर्मनी के पास होने के कारण जर्मनी की भूमिका महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इसी कारण जर्मनी के वरिष्ठ मंत्री तथा गुप्तचर यंत्रणाओं द्वारा चीन के संदर्भ में दी गई चेतावनी भी ग़ौरतलब साबित होती है। जर्मनी के अंतर्गत सुरक्षा मंत्री होर्स्ट सीहोफेर ने, चीन की हरक़तों के बारे में चिंता ज़ाहिर करते हुए उसका उल्लेख ‘हायब्रिड थ्रेट’ ऐसा किया। ‘चीन द्वारा अहम क्षेत्रों में जर्मन कंपनियों पर कब्ज़ा करने की कोशिशें जारी हैं। ऊर्जा और ५जी तंत्रज्ञान जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की जर्मन कंपनियों को किस प्रकार सुरक्षा प्रदान की जा सकती है, इसपर सोचना आवश्यक है’, ऐसे शब्दों में सीहोफेर ने चीन से रहनेवाले ख़तरे के बारे में चेताया।

Hongkong-Issue-China-Europeअंतर्गत सुरक्षामंत्री के बाद जर्मनी के गुप्तचर विभाग ने भी चीन की हरक़तों पर ग़ौर फ़रमाया है। ‘टेंसेन्ट, अलिबाबा इन जैसीं कंपनियों के साथ ही, चिनी ॲप्स तथा जानकारी तंत्रज्ञान की आपूर्ति करनेवाली चिनी कंपनियों के पास होनेवाली जानकारी चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत को आसानी से उपलब्ध होती है। चीन के क़ानून के अनुसार चिनी कंपनियों के पास होनेवाली जानकारी ज़रूरत पड़ने पर सरकार को प्रदान करना बंधनकारक है। इस कारण, जर्मन नागरिक अथवा कंपनियों की जो जानकारी इन चिनी कंपनियों के पास है, वह सुरक्षित नहीं है, इसका एहसास रखना चाहिए। चीन द्वारा इस जानकारी का ग़ैरइस्तेमाल किया हुआ दिखायी दिया, तो हैरान मत होना। हम इसके बारे में केवल चेतावनी दे सकते हैं’, इन शब्दों में जर्मन गुप्तचर यंत्रणा ‘बीएफव्ही’ ने चीन के ख़तरे का एहसास कराया।

जर्मन सरकार अपनी जनता को चीन के ख़तरों को लेकर चेतावनी दे रही है कि तभी फ्रान्स ने ‘५जी’ क्षेत्र में चीन से होनेवाला ख़तरा कम करने के लिए ठोस कदम उठाये हैं। इस क्षेत्र की अग्रसर कंपनी हुवेई की सहायता लेनेवालीं फ्रेंच कंपनियों पर निर्बंधों की घोषणा की। फ्रेंच सरकार के इस निर्णय पर चीन ने नाराज़गी ज़ाहिर की है। हुवेई पर निर्बंध लगानेवाला फ्रान्स यह ब्रिटन के बाद दूसरा युरोपिय देश साबित हुआ है।

चीन ने हाँगकाँग के बारे में किया निर्णय और अन्य मानवाधिकारों के मुद्दे पर भी जर्मनी समेत युरोपीय महासंघ भी आक्रमक हुआ है। शुक्रवार को जर्मन सरकार ने चीन के राजदूत को समन्स भेजकर हाँगकाँग के निर्णय को लेकर तीव्र नाराज़गी ज़ाहिर की। हाँगकाँग अपने लिए चिंता का विषय होने की स्पष्ट भूमिका जर्मनी ने चीन के राजदूत के पास रखी होने की जानकारी भी सूत्रों ने दी। उससे पहले चीन ने मानवाधिकार कार्यकर्ता तथा वकिलों के विरोध में शुरू की कार्रवाई का निषेध करनेवाला निवेदन युरोपीय महासंघ द्वारा जारी किया गया। इस निवेदन में चीन में राजनीतिक तथा नागरी अधिकारों की स्थिति ढ़ह रही होने का दोषारोपण किया गया है।

Hongkong-Issue-China-Europeयुरोपीय महासंघ की अध्यक्षा उर्सुला व्हॉन डेर लेयेन ने कुछ दिन पहले, चीन के साथ के संबंधों को लेकर नाराज़गी व्यक्त करनेवाला बयान किया होने की ख़बर भी प्रकाशित हुई है। चीन में व्यापार तथा निवेश क्षेत्रों में युरोपियन कंपनियों से किये जानेवाले सुलूक़ के बारे में लेयेन ने यह बयान किया, ऐसा कहा जाता है। युरोप के चीन के साथ संबंध अधिक संतुलित होने की ज़रूरत है, ऐसा महासंघ की अध्यक्षा उर्सुला व्हॉन डेर लेयेन ने युरोपियन संसद को संबोधित करते हुए किये भाषण में कहा था।

जर्मनी ने चीन से होनेवाले ख़तरे के बारे में कराया एहसास, फ्रान्स ने किया हुआ निर्णय और महासंघ की भूमिका, इन सारी बातों से यही दिखायी दे रहा है कि युरोप-चीन संबंधों में निर्माण हुआ तनाव अधिक ही तीव्र होने लगा है। इससे पहले, अमरीका ने शुरू किया व्यापारयुद्ध और ‘५जी’ तंत्रज्ञान को लेकर चीन के विरोध में शुरू की मुहिम; इनके साथ कई मुद्दों पर युरोपिय महासंघ ने चीन के साथ सहयोग की भूमिका अपनाई थी। इस कारण, इन दोनों में बढ़ता तनाव नये राजनीतिक संघर्ष के संकेत देनेवाला साबित होता है।

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