चीन की सेना गलवान वैली से पीछे हटी

नई दिल्ली – भारत ने लष्करी, राजनीतिक एवं आर्थिक मोरचों पर अपनाई आक्रामक भूमिका की वज़ह से बेचैन हुए चीन की सेना गलवान वैली से पीछे हटी हैं। सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई चर्चा की पृष्ठभूमि पर चीन की सेना इस क्षेत्र से पीछे हटी है, यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है। वहीं, गलवान में जारी गतिविधियों पर अपनी बारीक नज़र होने की बात कहकर भारतीय सेना ने, इस मोरचे पर खतरा मोल नहीं सकते, यही संकेत दिए हैं। इसी वजह से सेना ने, गलवान वैली में तैनात अपने सैनिकों के लिए माइनस तापमान में रहने के लिए आवश्‍यक विशेष सामान की खरीद करने के लिए तेज़ गतिविधियाँ शुरू की हैं।

गलवान वैली

गलवान वैली के संघर्ष में चिनी सेना को कड़ा सबक सिखाकर और चीन के टक्कर की सेनातैनाती करके भारत ने चीन को अपनी ताकत और क्षमता दिखाई है। इसके साथ ही, भारत सरकार ने आर्थिक मोरचे पर भी चीन को झटके देनेवाले निर्णय किए हैं और भारतीय जनता ने भी सरकार का पूरा समर्थन करके चीन को झटका दिया। इसी बीच, अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, फ्रान्स और जर्मनी ने भी भारत को समर्थन देकर चीन के विरोध में बड़ा राजनीतिक मोरचा खोला। ये सभी गतिविधियाँ हो रही थीं कि तभी दो दिन पहले भारत के प्रधानमंत्री ने लेह पहुँचकर, वहाँ पर तैनात अपने सैनिकों से मुलाक़ात की और चीन कीविस्तारवादीनीति से पूरे विश्‍व को खतरा होने का संदेश भी दिया था। इन मोरचों पर झटका लगने से बड़े बेचैन हुए चीन ने, दोनों देशों के बीच बना तनाव कम करने के लिए कोशिश करने का आवाहन करना शुरू किया है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल और चीन के विदेशमंत्री वँग यी के बीच विशेष चर्चा हुई।

इस पृष्ठभूमि पर, गलवान वैली से चीन की सेना लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर पीछे हटी होने का दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है। साथ ही, पैन्गॉन्ग त्सो के इलाके केफिंगरपर लगाए टेंट भी चीन की सेना ने हटाए हैं। गलवान, हॉटस्प्रिंग और गोगरा क्षेत्र में तैनात चिनी सेना की लष्करी गाड़ियाँ भी पीछे लौट चुकी हैं, यह जानकारी चीन की सेना ही प्रदान कर रही है। भारत सरकार के सूत्रों ने, चीन की इन लष्करी गतिविधियों की दखल ली गयी है, ऐसा कहा। लेकिन, चीन की सेना इस इलाके से पीछे हटी है, इस बात की पूरी तसल्ली होने के बाद ही इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना संभव होगा, यह बयान सूत्रों ने किया है। सीमा विवाद को लेकर चीन से होनेवाली धोख़ाधड़ी का अनुभव होने के कारण, भारतीय सेना ने लद्दाख की अपनी तैनाती में किसी भी प्रकार से ढीला रवैया दिखाया नहीं है। लद्दाख के तापमान में धीरे धीरे गिरावट हो रही है और ऐसी स्थिति में अपने सैनिकों को लष्करी समान के साथ ही, अन्य संसाधनों की भी आपूर्ति करने के लिए सेना ने गतिविधियाँ बढ़ाई हैं।

सभी मोरचों पर घिरा जा चुका चीन हालाँकि इस क्षण गलवान से पीछे हट रहा है, लेकिन चीन की विस्तारवादी हरकतों का खतरा अभी ख़त्म नहीं हुआ है। अलग अलग मार्गों से चीन भारतीय सीमा में घुसपैठ करता ही रहेगा, यह बात सामरिक विश्‍लेषक कह रहे हैं। इसी वज़ह से, भारत ने अपनी आक्रामक भूमिका छोड़कर चीन को किसी भी मोरचे पर घुसपैठ करने का अवसर प्रदान करने नहीं देना चाहिये। इस मोरचे पर भारत ने व्यापक नीति तैयार करना ज़रूरी है, यह माँग ये सामरिक विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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