यह युद्ध का समय नहीं है – भारत के आवाहन पर फ्रान्स का समर्थन

संयुक्त राष्ट्रसंघ – यह युद्ध का समय नहीं है, ऐसा कहकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध रोकने का आवाहन किया था। उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित ‘एससीओ’ बैठक के दौरान रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के सामने ही भारतीय प्रधानमंत्री के इस बयान की फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने सराहना की। संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा को संबोधित करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने उचित बात कही, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने कहा।

युद्ध का समययह समय युद्ध का नहीं है, तथा प्रतिशोध लेने का भी नहीं है। पश्चिमी देशों ने पूर्व के देशों पर प्रतिशोध लेने का यह समय नहीं है और सबको एकजुट होकर चुनौतीयों का सामना करना है, ऐसा फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने कहा। अन्न, जैवविविधता और शिक्षा के लिए चरम स्तर के मतभेद रखनेवालों को मिलकर काम करने की बड़ी ज़रूरत है, यह दावा राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने किया। संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने भी आम सभा को संबोधित करते हुए विश्व भीषण दौर से गुज़र रहा है, यह कहकर यूक्रेन का युद्ध और विश्वभर की अन्य चुनौतियों का दाखिला दिया था। आम सभा में यह चिंता व्यक्त की जा रही है और इसी बीच रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध परमाणु युद्ध में तब्दील हो सकता है, यह चेतावनी पूरे विश्व को दी है।

ऐसी स्थिति में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री के बयानों का दाखिला दे रहे हैं, यह ध्यान आकर्षित करता है। अमरीका और यूरोपिय देशों ने भी प्रधानमंत्री मोदी ने यह समय युद्ध का नहीं, किए बयान को बड़ी अहमियत दी है। भारत के प्रधानमंत्री ने मानो की यूक्रेन युद्ध का पूरा ठिकरा रशिया पर फोड़कर राष्ट्राध्यक्ष पुतिन को ही आगाह किया है, यह दावा पश्चिमी देश कर रहे हैं। लेकिन, वास्तव में भारत ने यूक्रेन युद्ध में किसी का भी पक्ष ने लेते हुए देश की वैध सुरक्षा संबंधित हित समझकर बातचीत से इस समस्या का हल निकालने की माँग की थी। इसमें रशिया की भी वैध सुरक्षा संबंधित हित का समावेश है, इस बात पर भारत ध्यान आकर्षित कर रहा है।

ऐसी स्थिति में पश्चिमी देशों ने भारतीय प्रधानमंत्री के इन बयानों का इस्तेमाल पश्चिमी देश अपने हित के लिए करते दिख रहे हैं। लेकिन, भारत और रशिया के परंपरागत सहयोग के मद्देनज़र दोनों देशों के संबंधों पर इसका असर होने की संभावना नहीं है।

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