तुर्की की अफ़गानिस्तान में सेना तैनाती करना गंभीर भूल होगी – तालिबान का तुर्की को इशारा

afghan-turkey-erdogan-us-biden-3दोहा/इस्लामाबाद – ‘नाटो के सहयोगी देशों की वापसी के बाद भी अफ़गानिस्तान में अपनी सेना तैनात रखना तुर्की के लिए गंभीर भूल होगी। यह तुर्की के हित में नहीं होगा’, ऐसी सख्त चेतावनी तालिबान ने दी है। इसके साथ ही नाटो के सदस्य देश तुर्की को भी अफ़गानिस्तान में घुसपैठी करार देकर कार्रवाई की जाएगी, ऐसी धमकी तालिबानी नेताओं ने दी है। काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए अपने सैनिकों की तैनाती रखने की माँग तुर्की ने नाटो के सामने रखी थी। इस पर अमरीका ने तुर्की की माँग का समर्थन किया है। इससे गुस्सा हुए तालिबान ने तुर्की को फिर एक बार इशारा दिया हुआ दिख रहा है।

एक इस्लामधर्मी देश ने विदेशी घुसपैठियों के पक्ष में खड़े होकर दूसरे इस्लामी देश के साथ शत्रुता करना अच्छी बात नहीं है, यह इशारा भी तालिबान ने तुर्की को दिया है। तालिबान ने इससे पहले भी तुर्की को यही इशारा दिया था। अमरीका और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद भी अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए अपनी सेना तैनात रखने का प्रस्ताव तुर्की ने रखा था। इसे अमरीका ने समर्थन दिया है। लेकिन, तालिबान ने इस पर प्रतिक्रिया दर्ज़ करते हुए यह इशारा दिया है कि, नाटो का सदस्य तुर्की अपनी सेना को अफ़गानिस्तान में तैनात नहीं रखत सकता।

afghan-turkey-erdogan-us-biden-2-400x240काबुल हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए अपने सैनिक तैनात करने के बदले में तुर्की अमरीका से आर्थिक सहायता प्राप्त करने की तैयारी में होने का दावा किया जा रहा है। तुर्की की अर्थव्यवस्था की गिरावट हो रही है। तुर्की को अमरीका की सहायता की काफी बड़ी ज़रूरत महसूस हो रही है। इसके लिए तुर्की ने तालिबान पर हमले करने के लिए अमरीका को लष्करी अड्डा उपलब्ध करने की भी चर्चा है। लेकिन, इसके बदले में अमरीका अपने खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध हटाए, यह शर्त तुर्की ने रखी है। लेकिन, तालिबान तुर्की की इन गतिविधियों की ओर काफी बारिकी से देख रही है।

afghan-turkey-erdogan-us-biden-1कतार की राजधानी दोहा में स्थित तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के प्रवक्ता मुहम्मद नईम और अफ़गानिस्तान में मौजूद तालिबान के प्रवक्ता ज़बिहुल्ला मुजाहिद ने तुर्की को सख्त चेतावनी दी। ‘अफ़गानिस्तान में घुसपैठ करनेवाले पश्‍चिमी देश और उनके सहयोगी देशों की इस देश में मौजूदगी कभी बर्दाश्‍त नहीं करेंगे, यह बात तालिबान ने पहले ही स्पष्ट की थी’, यह कहकर नईम ने तुर्की को बीते हफ्ते दिए गए इशारे की याद दिलाई। साथ ही यह तैनाती तुर्की के लिए बड़ी भूल साबित होगी, यह इशारा भी नईम ने दिया है।

‘तुर्की’ एक इस्लामी देश होने के बावजूद अफ़गानिस्तान में घुसपैठ करनेवाले पश्‍चिमी देशों की फौजों के पक्ष में संघर्ष में शामिल हुआ था। इस वजह से हवाई अड्डे की सुरक्षा का बहाना करके अफ़गानिस्तान में घुसपैठियों की तैनाती बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी, फिर वे तुर्की के ही सैनिक क्यों ना हों तब भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी’, यह धमकी मुजाहिद ने दी है।

इसी बीच अफ़गानिस्तान में सहयोग के मुद्दे पर चर्चा के लिए पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी तुर्की पहुँचे हैं। अमरीका और मित्रदेशों की सेना वापसी के बाद अफ़गानिस्तान से संबंधित भूमिका पर तुर्की के नेताओं से चर्चा करेंगे, यह बयान पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने किया है।

तुर्की और पाकिस्तान को तालिबान के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए अमरीका ने जाल बिछाया है। अमरीका के इस फंदे में यह दोनों देश खुदको ना फंसाएं, यह इशारा पाकिस्तान में मौजूद चरमपंथी विश्‍लेषक दे रहे हैं।

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