यूक्रैन की भारतीय छात्रों पर बदले की भावना से कार्यवाही – यूक्रैन के राजदूत ने कार्यवाही का किया समर्थन

नई दिल्ली/किव – रशिया के हमले के बाद यूक्रैन में फंसे भारतीय छात्र इस देश को छोड़ने की तैयारी में हैं| इनमें से कुछ भारतीय छात्रों को पोलैण्ड की सीमा के करीब यूक्रैन के सैनिकों ने मारपीट करके उत्पीड़ीत करने की चौंकानेवाली खबरें सामने आयी हैं| कुछ दिन पहले रशिया पर दबाव डालकर भारत यूक्रैन पर होने वाला हमला रुकवा दे, ऐसी याचना कर रहें देश से भारतीय छात्रों के साथ ऐसा बर्ताव प्रक्षोभक है| इस कार्यवाही का भारत में नियुक्त यूक्रैन के राजदूत ने समर्थन करने से भारतीय नागरिकों का गुस्सा अधिक बढ़ रहा है|

भारतीय छात्र

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में भारत ने रशिया के खिलाफ वोट करने से इन्कार करके अपनी तटस्थता कायम रखी थी| इस पर यूक्रैन की यह प्रतिकिया दिख रही है| यू्रैन में २० हज़ार से अधिक भारतीय छात्र एवं वैद्यकीय और अन्य प्रशिक्षण पा रहे थे| इनमें से लगभग ८ हज़ार से अधिक छात्रों को स्वदेश लाया गया है| लेकिन, अब भी हज़ारों छात्र यूक्रैन में फंसे हुए हैं| इनमें से कुछ लोगों को पोलैण्ड, स्लोवाकिया, रोमानिया, हंगरी भेजकर उन्हें वहां से भारत लाया जा रहा है| यूक्रैन छोड़ने के लिए पोलैण्ड की सीमा पर पहुँचे भारतीय छात्रों को यूक्रैन ने बदले की भावना से नुकसान पहुँचाया|

इन छात्रों को कतार में काफी समय तक प्रतिक्षा करने के लिए मज़बूर किया गया| इन छात्रों को भारतीय दूतावास के कर्मचारी खान-पान एवं निवारा प्रदान कर रहे थे| लेकिन, यूक्रैन के सैनिक इन छात्रों को सीमा पार करके सहायता स्वीकारने की अनुमति नहीं दे रहे थ| इसके अलावा, सावल करने पर भारतीय छात्रों को यूक्रैन के सैनिकों ने लातें और घूसे मारे| कुछ लोगों को लोहे के सलिए से पीटा गया| भारतीय छात्रों ने ही यह जानकारी माध्यमों तक पहुँचाई| इसके बाद भारतीय नागरिकों के मन में यूक्रैन के खिलाफ गुस्से की भावना निर्माण हुई|

कुछ दिन पहले यूक्रैन के राजदूत ने प्रधानमंत्री मोदी से अपने देश को रशिया के हमले से बचाने के लिए तहेदिल से आवाहन किया था| रशिया पर प्रभाव डालने की क्षमता रखनेवाले चुनिंदा देशों में भारत का समावेश है| इसका इस्तेमाल करके भारत यूक्रैन को बचाए, ऐसा यूक्रैन के राजदूत ने कहा था| लेकिन, अब भारतीय छात्रों को मारपीट और उत्पीड़न का संज्ञान लेना यूक्रैन के राजदूत ने टाला है| इसके अलावा, नियम तोड़नेवनालों पर कार्रवाई हुई है, ऐसा कहकर भारतीय माध्यम इसे ज्यादा अहमियत ना दें, यह बयान राजदूत ने किया है|

बदले की भावना से भारतीय छात्रों पर की गई यह कार्यवाही और उसके समर्थन की वजह से यूक्रैन का असली चेहरा सामने आया है| भारतीय छात्रों की सुरक्षा की गारंटी देनेवाला यह देश कारोबारीक स्तर की ज़िम्मेदारी स्वीकारने के लिए भी तैयार नहीं है| दूसरे देश से आए हुए छात्रों का सहयोग करना यूक्रैन की ज़िम्मेदारी है| युद्ध के दौरान भी यूक्रैन इस ज़िम्मेदारी से मूंह नहीं मोड़ सकता| लेकिन, यह देश भारतीय छात्रों को पर्याप्त सहायता करने के बजाय उन पर कार्यवाही करके प्रतिशोध लेने में धन्यता मानता है, यह बात यूक्रैन का असली चेहरा विश्‍व के सामने लानेवाली साबित हुई है|

वर्ष १९९८ में भारत के परमाणु परीक्षणों का संयुक्त राष्ट्र संघ में विरोध करनेवाले देशों में यूक्रैन आगे था| इससे पहले यूक्रैन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान करने का निर्णय करके भारत विरोधि भूमिका अपनाई थी| कश्मीर के मसले पर भी यूक्रैन ने भारत विरोधि भूमिका अपनाई थी| भारतीय छात्रों पर कार्रवाई करने से इन सबकी यादें ताज़ा हो रही हैं|

Leave a Reply

Your email address will not be published.