अमेरिकी यंत्रणा चीन की जासुसी और घुसपैठ का मुकाबला करने में नाकाम – अमेरिकी संसदिय समिती की आलोचना

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन ने अमेरिका में स्थापित किया जासूसी का नेटवर्क एवं कम्युनिस्ट हुकूमत का प्रभाव बढ़ाने के लिए चलाए अभियान का दायरा अमेरिकी यंत्रणाओं ने अभी भी ठिक से जाना नहीं हैं। चीन की इन हरकतों का मुकाबला करने में अमेरिकी यंत्रणा नाकाम साबित हुई है, ऐसें तीखे शब्दों में अमेरिका की संसदिय समिती ने आलोचना की है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत और राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने बनाई ‘युनाइटेड फ्रंट वर्क्स’ नामक योजना के माध्यम से चीन की यह हरकतें शुरू हैं और आगे के समय में स्थिति अधिक बिगड़ सकती है, ऐसी चेतावनी इस समिती ने दी है।

अमेरिकी प्रतिनिधि सदन का हिस्सा होने वाले हाउस चाइना सिलेक्ट कमिटी’ ने चीन संबंधित नई रपट पेश की है। इसमें अमेरिका में चीन ने शुरू किए ‘सिक्रेट पुलिस स्टेशन’, ‘लिटिल रेड क्लासरुम’ के साथ अन्य कई गतिविधियों का ज़िक्र है। ‘युनाइटेड फ्रंट वर्क्स’ योजना के लिए हर साल चीन अरबों डॉलर खर्च कर रहा है और अमेरिकी के हितसंबंधों को नुकसान पहुंचाने में लगा होने की ओर इस समिति ने ध्यान आकर्षित किया है। अमेरिकी यंत्रणाओं ने फिलहाल हासिल किए संसाधनों को आधार बनाकर अमेरिका चीनी हरकतों का सामना कर रही हैं, फिर भी यह पर्याप्त नहीं हैं, ऐसी स्पष्ट चेतावनी दी गई है।अमेरिकी यंत्रणा चीन की जासुसी और घुसपैठ का मुकाबला करने में नाकाम - अमेरिकी संसदिय समिती की आलोचना

चीन की हरकतों का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने उचित नीति अपनाई नहीं हैं, यह दावा भी इस समिति की रपट में किया गया है। कानूनी एवं अवैध तकनीक का इस्तेमाल करके अमेरिका में चीनी वंश के नागरिकों पर नज़र रखना, कम्युनिस्ट हुकूमत विरोधी आलोचकों की आवाज़ दबाना, चीनी हुकूमत के लिए अनुकूल प्रचार करने जैसी गतिविधियों का ज़िक्र संसद की इस समिति ने बनाई रपट में है।

पिछले महीने ही ‘फाईव्ह आईज्‌’ सदस्य देशों के गुप्तचर प्रमुखों की बैठक का अमेरिका में आयोजन किया गया था। इसमें चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत और उससे जुड़ी यंत्रणा क्वांटम तकनीक से जैव प्रौद्योगिकी तक के सभी क्षेत्रों की ‘इंटेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी राईटस्‌’ की चोरी करने में लगी होने का स्पष्ट आरोप लगाया गया था। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत शीर्ष पश्चिमी देशों में व्यापक स्तर पर जासूसी कर रही हैं, ऐसी चेतावनी भी इसमें दी गई थी। कुछ महीने पहले अमेरिका की गुप्तचर यंत्रणा ने भी अपनी सालाना रपट में चीन की बढ़ती क्षमताओं का ज़िक्र करके साइबर हमले, गश्त और जासूसी का इस्तेमाल करने के रवैये की ओर ध्यान आकर्षित किया था।

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