भारत ‘रशियन कैम्प’ में शामिल होने का अमरीका का आरोप

मास्को – संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने दो बार यूक्रैन के मुद्दे पर रशिया के खिलाफ वोट करना टाल दिया| संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भी भारत की राह पर चलकर रशिया के खिलाफ जाने से इन्कार किया| इस पर अमरीका ने गुस्से से भरी प्रतिक्रिया दर्ज़ की है| अमरीका के विदेश विभाग ने तकरीबन ५० देशों के दूतावासों को दिए ‘मेमो’ में भारत-यूएई रशियन कैम्प में दाखील होने का संदेश दिया| कुछ समय बाद इस मेमो को हटाया गया| लेकिन, इसके ज़रिये हमने भारत और यूएई के इस निर्णय का गंभीरता से संज्ञान लिया है, यह संदेश अमरीका ने दोनों देशों को दिया है|

india-russian-campगुरूवार को भारत, अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ की बैठक हुई| इसमें यूक्रैन का मुद्दा उठाया गया| लेकिन, इससे ‘क्वाड’ में इस मुद्दे पर मतभेद होने की बात स्पष्ट हुई| कुछ भी हो जाए फिर भी अमरीका के इशारे पर भारत, रशिया के खिलाफ नहीं जाएगा, यह बात भारत ने इस बैठक से पहले स्पष्ट करने की खबरें प्राप्त हो रही हैं| इसके अलावा, जिस ध्येय के लिए ‘क्वाड’ का गठन हुआ है, इसके अलावा अन्य मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद नहीं है| क्वाड इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि के अलावा अन्य मुद्दो पर ना भटके, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहने की जानकारी माध्यमों से प्राप्त हो रही है|

लेकिन, यूक्रैन युद्ध में फंसी आम जनता तक मानवीय सहायता पहुँचाने के मुद्दे पर ‘क्वाड’ की इस बैठक में सहमति हुई| परंतु, क्वाड की बैठक में जापान और ऑस्ट्रेलिया की सहायता से भारत पर दबाव डालने की अमरीका की कोशिश नाकाम रही| इस वजह से अमरीका अब भारत से नाराज़ है| इसके अलावा, यह नाराज़गी अलग-अलग तरीके से व्यक्त करके अमरीका भारत को परिणामों का अहसास कराती हुई दिख रही है| इसके अनुसार ५० देशों के अपने दूतावास को दिए गए संदेश में भारत और यूएई रशिया के खेमे में दाखिल होने की जानकारी साझा की गई| यह खबर जानबूझकर माध्यमों तक पहुँचाकर बाद में यह संदेश हटा लिया गया| इसके पीछे अमरीका की भारत पर दबाव डालने की रणनीति है|

आनेवाले दिनों में बायडेन प्रशासन भारत पर प्रतिबंध लगाए बिना नहीं रहेगा, ऐसी खबरें भी अमरीका जानबूझकर फैला रही है| कम से कम इस कारण भारत के रशिया से जारी सहयोग पर असर पडेगा, यह आशा बायडेन प्रशासन को है| लेकिन, भारत ने अपनी विदेश नीति का संतुलन, तटस्थता पर समझौता नहीं किया जाएगा, यह इशारा अमरीका को दिया है| खास तौर पर भारत द्वारा अपनाई गई इस भूमिका की वजह से बायडेन प्रशासन के खिलाफ अन्य देशों का भी आत्मविश्वास जागा है|

यूएई ने भी भारत की तरह रशिया के खिलाफ वोट करना टाल दिया| ऐसे में सौदी अरब के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद ने राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की हम परवाह नहीं करते, यह बयान किया है| भारत की भूमिका से प्रेरणा लेकर पाकिस्तान ने भी रशिया के पक्ष में खड़े होने का निर्णय किया था| लेकिन, यह पराक्रम पाकिस्तानी सरकार पर उलटता हुआ स्पष्ट दिखने लगा है| आनेवाले दिनों में जहां पर आवश्यकता नहीं थी, वहीं पर भारत की राह अपनाने का भयंकर परिणाम पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा, यह इशारा इस देश के पत्रकार दे रहे हैं| इसके अलावा अपना देश भारत नहीं है, इस बात का ध्यान रहे, ऐसी सलाह इन पत्रकारों ने इम्रान खान को दी है|

भारत ने अपने नागरिकों के बचाव के लिए रशिया को यूक्रैन पर जारी हमले कुछ घंटों के लिए रोकने के लिए मज़बूर किया था| क्या पाकिस्तान ऐसा कर सकता है? सह सवाल इन पत्रकारों ने पाकिस्तान सरकार के अलावा जनता से भी पूछा है|

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