युरोप में नाटो के विस्तारवाद जितना ही इंडो-पैसिफिक में अमेरिका की नीतियां खतरनाक होंगी

– चीन के उपपरराष्ट्रमंत्री का इशारा

europe-us-indo-pacific-strategies-2बीजिंग – नाटो के युरोप में विस्तारवादी नीतियों जितना ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की अमेरिका की नीतियां खतरनाक हैं। यहां पर गुट बनाकर अमेरिका इस क्षेत्र का विभाजन करना चाहती है। इस पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो यह बहुत ही खतरनाक बात होगी। अमेरिका के इस इंडो-पैसिफिक विषयक नीति के भीषण परिणामों की संभावना है, ऐसी धमकी चीन के उपविदेशमंत्री ली युचेंग ने दी है। रशिया ने युक्रैन पर किए हमले के लिए नाटो की विस्तारवादी नीतियां जिम्मेदार होने का कलंक युचेंग ने लगाया। इसी तरह भविष्य चीन यदि तैवान पर हमला करे तो उसके लिए चीन की नहीं बल्कि, अमेरिका की नीतियां जिम्मेदार होंगी, ऐसा चीन के उपविदेशमंत्री सुझा रहे हैं।

शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के बीच विडियो कॉनफरन्स हुई। इस चर्चा में अमेरिका ने युक्रैन के युद्ध में चीन यदि रशिया करेगा तो इसके भीषण परिणाम चीन को भोगने पडेंगे, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने चीन को आगाह किया था। अमेरिकी माध्यमों ने इसकी खूब प्रसिद्धि की। मगर इसी चर्चा में चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने तैवान की बात पर अमेरिका दिए हुए इशारे की ओर कईयों ने ध्यान नहीं दिया। 

इससे पूर्व चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की क्वाड संघटना पर टीका की थी। यह संघटना चीन को रोकने के लिए ही स्थापन हुई है, यह कलंक विदेशमंत्री वैंग ई ने लगाया था। इतना ही नहीं बल्कि, क्वाड ’एशिया-पैसिफिक’ क्षेत्र का नाटो होने का आरोप भी चीन के विदेशमंत्री ने लगाया। इसके बाद चीन के उपविदेशमंत्री ली युचेंग भी इन्हीं शब्दों में अमेरिका को इशारे दे रहे हैं। युक्रैन पर रशिया के हमलों के लिए नाटो की विस्तारवादी नीतियां जिम्मेदार हैं।

europe-us-indo-pacific-strategies-1संपूर्ण सुरक्षा संपादन करने की मंशा से नाटो ने युरोप में विस्तारवादी नीतियों अपनाई थीं। पर इसका विपरीत परिणाम सामने आया है और संपूर्ण सुरक्षा के बजाए अधिक असुरक्षितता फैली है, ऐसी टीका युचेंग ने की। अमेरिका नाटो की तरह ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गुट बनाकर इस क्षेत्र में दरार डालने की नीतियां बना रही है, यह दावा युचेंग ने एक अध्ययन मंडल के समक्ष व्याख्यान में किया।

अमेरिका की यह नीतियों के भीषण परिणाम होंगे, ऐसा कहकर युचेंग ने चीन के इरादे स्पष्ट किए हैं। अमेरिका-नाटो का पूरा ध्यान युक्रैन के युद्ध में लगा हुआ है और चीन तैवान पर हमला करेगा, ऐसे इशारे विश्वभर के विश्लेषक दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर युचेंग ने सूचित किया है कि, चीन यदि तैवान पर हमला करेगा तो इसके लिए अमेरिका की नीतियां जिम्मेदार होंगी। अमेरिक एवं चीन के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई चर्चा के बाद चीन द्वारा ऐसे इशारे दिए जा रहे हैं, यह ध्यान आकर्षित करनेवाली बात है। चीन तैवान पर हमले की पूर्वतैयारी कर रहा है, ऐसे संकेत इससे मिल रहे हैं।

युक्रैन पर रशिया के हमलों के बाद, चीन तैवान पर आक्रमण करेगा ऐसी जोरदार चर्चा होने लगी थी, पर चीन रशिया नहीं है और तैवान युक्रैन नहीं है, ऐसे स्पष्ट शब्दों में तैवान ने चीन को इशारा दिया था। जापान भी चीन की गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रखे हुए है, ऐसा निरंतर ताकीद दे रहा है। तथा, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो ऐबे ने तैवान के बारे में अमेरिका के बायडेन प्रशासन की नीति उधेडबुन की होने का कलंक लगाया था। चीन इस बात का लाभ उठाएगा, ऐसी चिंता ऐबे ने व्यक्त की थी।

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