अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ इस्तेमाल करने का निर्णय किया

– चीन, जापान, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और भारत भी ‘रिज़र्व’ भंड़ार खुले करेंगे

वॉशिंग्टन/दुबई – अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने देश में बढ़ रही ईंधन की कीमतें कम करने के लिए ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ यानी ईंधन के आरक्षित भंड़ार खुले करने का निर्णय किया है| अमरीका के अलावा चीन, जापान, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और भारत भी अपने ‘रिज़र्व’ ईंधन का कुछ हिस्सा खुला कर रहे हैं| बीते वर्ष से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं| लेकिन, मॉंग की तुलना में सप्लाई ना बढ़ने से कई देशों में ईंधन की कीमतें नया रिकार्ड स्थापित कर रही हैं|

strategic-petroleum-reserve-biden-us-1मंगलवार के दिन वाईट हाऊस ने जारी किए निवेदन में अमरीका अपने ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ से पांच करोड़ बैरल्स ईंधन खुला करेगी, ऐसा कहा गया| जापान ४२ लाख बैरल्स, ब्रिटेन १५ लाख और भारत ५० लाख बैरल्स ईंधन आरक्षित भंड़ार से खुला करेगा| चीन ने पहले ही डीज़ल का दर कम करने के लिए रिज़र्व भंड़ार खुला किया था| साथ ही जरुरत पड़ने पर आनेवाले दिनों में भी रिज़र्व भंड़ार फिर से खुला करने का ऐलान चीन ने किया था| दक्षिण कोरिया ने ईंधन भंड़ारों के आँकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं|

अमरीका के ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ में फिलहाल ६२ करोड़ बैरल्स से अधिक ईंधन उपलब्ध है| वर्ष २०१९ की प्रतिदिन की मॉंग को ध्यान में रखते हुए एक महीने से अधिक समय के लिए यह भंड़ार पर्याप्त साबित हो सकता है, यह जानकारी सूत्रों ने प्रदान की| अमरीका में फिलहाल ईंधन की कीमत प्रति गैलन ३.४० डॉलर है| बीते वर्ष यही कीमत २.११ डॉलर्स थी| एक वर्ष के दौरान ईंधन की कीमत ६० प्रतिशत से अधिक बढ़ना बायडेन प्रशासन के लिए सिरदर्द हो गया है| इसी वजह से आरक्षित भंड़ार खुले करने का निर्णय किया गया है|

लेकिन, इस निर्णय की अमरीका समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना हो रही है| पर्यावरण का अपना अजंड़ा चलाने के लिए बायडेन प्रशासन एक ओर अमरीका में ईंधन के खनन पर पाबंदी लगा रहा है और दूसरी ओर आरक्षित भंड़ार खोल रहा है| इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा, ऐसा रिपब्लिकन सांसदों ने कहा है| गोल्डमन सैक्स ने इस पर फटकार लगाकर कहा है कि, बायडेन प्रशासन ने खुला किया हुआ ईंधन का भंड़ार यानी समुद्र में एक बुंद ड़ालने जैसा है| ईंधन उत्पादक देश ‘यूएई’ के मंत्री ने बायडेन के इस निर्णय पर ध्यान देने की जरुरत ना होने का बयान किया है| तेल उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ संगठन ने भी अपने निर्णय में बदलाव होने की संभावना ना होने का इशारा दिया है|

strategic-petroleum-reserve-biden-us-2बीते कुछ महीनों में कोरोना की महामारी से वैश्‍विक अर्थव्यवस्था संभलकर सामान्य होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं| इससे ईंधन की मॉंग में बढ़ोतरी हो रही है| इसी दौरान कोयला, नैसर्गिक ईंधन वायु और कच्चे तेल का उत्पादन कम होने से कीमतें बढ़ने लगी हैं| जुलाई में ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ और ‘ओपेक प्लस’ संगठनों की बैठक में ईंधन की सप्लाई बढ़ाने के समझौते को लेकर सहमति हुई थी|

इस समझौते के अनुसार अगस्त से कच्चे तेल का उत्पादन प्रतिदिन चार लाख बैरल्स बढ़ाया गया| लेकिन, कच्चे तेल की मॉंग तेज़ी से बढ़ रही है और सप्लाई सीमित रहने से कीमतों में उछाल आने लगा है| अगस्त में बायडेन प्रशासन ने ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ संगठन को उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए थे| लेकिन ‘ओपेक’ ने अमरीका की सूचना से इन्कार किया और अपने समझौते पर कायम रहने का निर्णय किया था| इस पृष्ठभूमि पर बायडेन प्रशासन ने अपने ‘ऑइल रिज़र्व’ खुले करने का निर्णय करना ‘ओपेक’ को संदेश देने की बात हो सकती है, यह दावा कुछ विश्‍लेषकों ने किया है|

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