चीन को रोकने के लिए अमरीका बाल्टिक देशों का इस्तेमाल कर रही है – लिथुआनिया के मुद्दे पर चीन की आलोचना

us-baltic-countries-chinaबीजिंग/वॉशिंग्टन/ताइपे – ताइवान के माध्यम से चीन को रोकने के लिए अमरीका बाल्टिक देशों का इस्तेमाल कर रही है, ऐसी आलोचना चीन के विदेश विभाग ने की है। लिथुआनिया एक चीन एक ताइवान निर्माण करने की कोशिश कर रहा है और इस गलती को अमरीका समर्थन दे रही है, ऐसा आरोप चीन ने लगाया। बुधवार को अमरीका और जर्मनी के विदेशमंत्रियों की बैठक में अमरिकी विदेशमंत्री ने लिथुआनिया के मुद्दे पर चीन से तीखे सवाल किए। चीन के विदेश मंत्रालय ने की हुई आलोचना इसे प्रत्युत्तर देनेवाली दिख रही है।

जुलाई में ताइवान और लिथुआनिया ने राजनीतिक दफ्तर शुरू करने का अधिकृत ऐलान किया था। नवंबर में ‘द ताइवानीज्‌ रिप्रेज़ेंटेटिव ऑफिस’ नाम से शुरू किए इस ‘डिफैक्टो एम्बसी’ की पृष्ठभूमि पर चीन ने आक्रामक गतिविधियाँ शुरू की हैं। चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुलाया है और लिथुआनिया के राजदूत को निकाल दिया है। लिथुआनिया के दूतावास के राजनीतिक अधिकारियों को उनके पहचानपत्र लौटाने को कहा है और उनकी सुरक्षा हटाने के भी संकेत चीन ने दिए हैं। लिथुआनिया से आयात हो रहे सामान पर अघोषित प्रतिबंध लगाए गए हैं। साथ ही चीन से लिथुआनिया जानेवाली ‘कार्गो ट्रेन सर्विस’ बंद की गई है।

चीन की इस दबाव नीति के खिलाफ अमरीका और यूरोपिय देश एक हो रहे है। बुधवार को जर्मनी की विदेशमंत्री एनालेना बेअरबैक ने वॉशिंग्टन में अमरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद वार्तापरिषद में ब्लिंकन ने लिथुआनिया का मुद्दा उठाकर चीन की आलोचना की। ‘३० लाख से कम जनसंख्या के लिथुआनिया के खिलाफ चीन की हुकूमत की दमन नीति चिंताजनक है। यूरोपिय और अमरिकी कंपनियाँ लिथुआनिया में उत्पादन ना करें, इसके लिए चीन दबाव ड़ाल रहा है। ऐसा नहीं किया गया तो उन्हें चीन का बाज़ार खोना पड़ेगा, इस तरह से धमकाया भी जा रहा है’, इन शब्दों में अमरिकी विदेशमंत्री ने चीन की हरकतों की ओर ध्यान आकर्षित किया।

इस तरह से आर्थिक स्तर पर किए जा रहे ब्लैकमेल के खिलाफ अमरीका और मित्रदेश एक हो रहे हैं और वैश्विक सप्लाई चेन में सुधार करने के कदम उठाए जाएँगे, यह दावा ब्लिंकन ने इस दौरान किया। जर्मनी की विदेशमंत्री एनालेना बेअरबैक ने यूरोपिय देश लिथुआनिया के साथ ड़टकर खड़े होने का दावा किया। इसी बीच चीन द्वारा लिथुआनिया की घेराबंदी रोकने के लिए ताइवान ने पहल की है। ताइवान सरकार ने लिथुआनिया के लिए २० करोड़ डॉलर्स की स्वतंत्र निधि का ऐलान किया है।

चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता वैंग वेन्बिन ने अमरीका के साथ ही ताइवान को भी लक्ष्य किया है और ‘डॉलर डिप्लोमसी’ का ताइवान को कोई लाभ नही मिलेगा, यह इशारा भी दिया।

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