चीन के विरोध में अमेरिका ‘मिसाइलों की दिवार’ खड़ी करेगी – अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी की जानकारी

वॉशिंग्टन – ५०० किलोमीटर दूरी तक हमला करने की क्षमता के ‘प्रिसिजन स्ट्राईक मिसाइल’, ‘टॉमाहॉक्स’ और ‘एमएस-६’ जैसे मध्य दुरी के मिसाइलों की दिवार अमेरिका पैसिफिक क्षेत्र में खड़ी कर रही हैं। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के विरोध में अमेरिका इन मिसाइलों की तैनाती कर रही हैं, ऐसी जानकारी अमेरिका के पैसिफिक कमांड से कमांडर जनरल चार्ल्स फ्लिन ने प्रदान की। अमेरिका की इस नई तैनाती की वजह से पैसिफिक क्षेत्र में मिसाइलों की नई स्पर्धा शुरू होगी, ऐसी चेतावनी विश्लेषक दे रहे हैं।

कुछ दिन पहले नोवा स्कॉटिया में ‘हैलिफैक्स इंटरनैशनल सिक्योरिटी फोरम’ की बैठक हुई। इसमें जनरल चार्ल्स फ्लिन ने अमेरिका का नेतृत्व किया था। वर्ष २०२४ में यानी अगले वर्ष अमेरिका पैसिफिक क्षेत्र में लंबी दूरी के मिसाइलों की बड़ी तैनाती करेगी, ऐसा जनरल फ्लिन ने कहा। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए उभरे खतरे की पृष्ठभूमि पर अमेरिका यह तैनाती करेगी, ऐसा जनरल फ्लिन ने कहा।

चीन के विरोध में अमेरिका ‘मिसाइलों की दिवार’ खड़ी करेगी - अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी की जानकारीचीन जल्द ही ताइवान पर हमला करके उसपर कब्ज़ा कर सकता हैं, ऐसी चेतावनियां पिछले कुछ महीनों से पश्चिमी विश्लेषक और चीन के अधिकारी दे रहे हैं। इश वजह से ताइवान की सुरक्षा के लिए अमेरिका इन मिसाइलों की तैनाती कर रही है क्या, इस सवाल का स्पष्ट जवाब देने से जनरल फ्लिन दूर रहें। लेकिन, देश में शुरू विभिन्न गतिविधियां और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों की कारण राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ताइवान पर हमला करने का निर्णय कर सकते हैं, ऐसा इशारा भी जनरल फ्लिन ने दिया।

वर्ष २०१९ में रशिया के साथ किए ‘इंटरमिजिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस’ (आईएनएफ) से बाहर होने के कारण अमेरिका को इन मिसाइलों की तैनाती करना अधिक आसान होगा, ऐसी जानकारी जनरल फ्लिन ने दी। उससे पहले ही अमेरिका के विमान वाहक युद्धपोतों की शुरू गश्त और युद्ध अभ्यास पर चीन काफी गुस्सा है। ताइवान हमारा सार्वभौम क्षेत्र होने का दावा करके इस क्षेत्र में अमेरिका की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, ऐसा इशारा चीन दे रहा हैं।

ऐसे में इस क्षेत्र में अमेरिका की लंबी दूरी के मिसाइलों की तैनाती होना चीन को बेचैन कर सकती है। इससे इस क्षेत्र में मिसाइलों की स्पर्धा भी शुरू हो सकती हैं, ऐसा इशारा सैन्य विश्लेषक दे रहे हैं।

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