चीन की आक्रामक नीति के प्रत्युत्तर में ऑस्ट्रेलिया रक्षा नीति में बड़े बदलाव करेगा – भारत, जापान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने पर देगा जोर

कैनबेरा – दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया ने अपनी रक्षा नीति में बड़े बदलाव किए हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अहम देश ऑस्ट्रेलिया की सेना आत्मरक्षा के लिए तैयार नहीं है, ऐसी कबुली ऑस्ट्रेलिया की नई रक्षा नीति में दी गई है। साथ ही इस क्षेत्र में चीन की आक्रामकता पर गौर करके ऑस्ट्रेलिया ने लंबी दूरी के मिसाइलें, परमाणु पनडुब्बी की खरीद और उत्तरी ओर के रक्षा अड्डों का आधुनिकीकरण को बड़ी अहमियत दी है। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने इसका ऐलान किया।  

रक्षा नीतिपिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ‘डिफेन्स स्ट्रैटेजिक रिव्यू’ (डीएसआर) तैयार किया था। प्रधानमंत्री अल्बानीज ने इसमें बड़े सुधार सूचित किए हैं और इसपर शीघ्रता से कार्रवाई करने के लिए १२ अरब डॉलर्स खर्च किया जाएगा, यह दावा हो रहा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पहली बार अपनी रक्षा नीति को इतनी बड़ी मात्रा में अहमियत दी है। दुनियाभर में बड़ी उथल-पुथल शुरू है और ऐसे में ऑस्ट्रेलिया पीछे नहीं रह सकती। मौजूदा मिसाइल यूग में ऑस्ट्रेलिया को अलग-थलग रहना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा ‘डीएसआर’ में कहा गया है।

कुल ११० पन्नों के इस ‘डीएसआर’ में दूसरा विश्व युद्ध और चीन की सैन्यकी आक्रामकता का ज़िक्र किया गया है। ‘दूसरे विश्व युद्ध के बाद अन्य किसी भी देश ने नहीं किया होगा, उतनी बड़ी तेज़ गति से चीन ने बड़ी सैन्य तैयारी जुटाई है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सुरक्षा की गारंटी दिए बिना या अपारदर्शी सैन्य नीति अपनाकर चीन इन गतिवधियों को अंजाम दे रहा हैं’, इसपर वर्णित रपट में ध्यान आकर्षित किया गया है। ईस्ट और साउथ चाइना सी में चीनी नौसेना की गतिविधियों का भी इसमें ज़िक्र किया गया है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जारी इन गतिविधियों के बीच ऑस्ट्रेलिया आत्मरक्षा के लिए तैयार ना होने का अहसास इस रपट में कराया गया है।
रक्षा नीतिइसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया की रक्षा तैयारी बढ़ाने के लिए अल्बानीज सरकार ने छह मुद्दों पर आधारित योजना पर शीघ्रता से काम करने के लिए प्राथमिकता दी। इसमें ‘ऑकस’ देशों की सहायता से परमाणु पनडुब्बी की खरीद, लंबी दूरी के मिसाइल से सज्जित होने को अहमियत दी गई है। ऑस्ट्रेलिया ५०० किलोमीटर मारक क्षमता के मिसाइलों का निर्माण करें, यह सुझाव इस रपट में दर्ज़ है। चीन जैसे आक्रामक देश को ऑस्ट्रेलिया की सीमा से दूर रखने के लिए यह तैयारी आवश्यक है, ऐसा यहां के सैन्य विश्लेषकों का कहना है। इसी के साथ उत्तरी ओर के सैन्य ठिकानों का आधुनिकीकरण करने का मुद्दा भी इसमें उठाया गया है।

प्रधानमंत्री अल्बानीज ने इस ‘डीएसआर’ पर बोलते हुए यह सुधार ऑस्ट्रेलिया को अधिक से अधिक स्वयंपूर्ण, मुस्तैद और सुरक्षित करेंगे, यह विश्वास व्यक्त किया है। साथ ही ‘यह सुधार करने पर ऑस्ट्रेलिया का आने वाला समय बदलेगा, नहीं तो यही दौर ऑस्ट्रेलिया को बदल देगा’, ऐसी चेतावनी अल्बानीज ने दी है। 

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