दावा बरकरार रखने के लिए चीन अरुणाचल प्रदेश में आयोजित ‘जी २०’ बैठक से दूर रहा

बीजिंग – अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर में रविवार को ‘जी २०’ की बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक के लिए चीन के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं रहे। अरुणाचल प्रदेश भारत का नहीं, बल्कि हमारा क्षेत्र होने का दावा चीन करता रहा है। इस वजह से चीन के प्रतिनिधि यहां मौजूद नहीं रहें, ऐसा दावा किया जा रहा है। लेकिन, इस मुद्दे को लेकर भारत के साथ नया विवाद शुरू नहीं होगा, इसका ध्यान रखते चीन दिख रहा है। क्यों कि, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग इस मुद्दे पर किए गए सवाल से बचती दिखाई पड़ी। हमें इसकी कोई भी जानकारी ना होने का बयान माओ निंग ने किया।

‘जी २०’ बैठकइटानगर में ‘जी २०’ बैठक का आयोजन किया गया था। इस परिषद के लिए ‘जी २०’ के करीबन ५० प्रतिनिधि मौजूद थे। लेकिन, वहां देखी गई चीन की अनुपस्थिति सबका ध्यान आकर्षित कर रही थी। अरुणाचल प्रदेश चीन का क्षेत्र होने के दावे यह देश लगातार कर रहा था। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं ने किए दौरे पर चीन के बयान सामने आ रहे थे। लेकिन, मौजूदा स्थिति में इस मुद्दे पर विवाद शुरू ना हो, इसका ध्यान चीन रख रहा है। इस वजह से इस ‘जी २०’ परिषद में चीन की अनुपस्थिती को लेकर हमे कुछ भी जानकारी ना होने का बयान चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता किया है।

इससे यही महसूस हो रहा है कि, चीन फिलहाल भारत के साथ विवाद बढ़ाना नहीं चाहता है। सीमा विवाद का असर भारत के व्यापारी सहयोग पर होता है और इससे चीन को भारी व्यापारी नुकसान होता है, इसका पूरा अहसास चीन को हुआ है। लद्दाख के गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत ने चीन के आर्थिक हितसंबंधों को झटके देनेवाले निर्णय किए थे। इसमें चीनी ऐप्स पर लगाई पाबंदी से चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के निर्णयों का समावेश था। विश्व आर्थिक मंदी के भंवर में फंसेगा, ऐसे खतरनाक दावे किए जा रहे हैं और ऐसे में भारत जैसे देश के साथ शुरू व्यापार बाधित करना चीन के पक्ष में नहीं होगा। इस वजह से चीन सीमा विवाद अधिक ना बिगड़े, इसका ध्यान रखकर कदम बढ़ाता दिख रहा है।

पिछले दो सालों से चीन की भारत में हो रही निर्यात बढ़ी है। भारत का उद्योग क्षेत्र कच्चे सामान के लिए काफी बड़ी मात्रा में चीन पर निर्भर हैं। इस वजह से चीन की निर्यात मे यह वृद्धि हुई है। लेकिन, आनेवाले समय में यह निर्यात कम होगी, इसका अहसास चीन को हुआ है। क्यों कि, फिलहाल अनिच्छा से ही भारत चीन से आयात कर रहा है और यह आयात कम करने के लिए भारत का उद्योग क्षेत्र कदम उठाता स्पष्ट दिख रहा है। ऐसी स्थिति में भारत की तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त ना हो, इसका ध्यान रखकर चीन अपनी नीति निर्धारित कर रहा है। इसके बावजूद चीन अपनी विस्तारवादी नीति छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं, यही बात इटानगर की ‘जी २०’ बैठक में इस देश की रही अनुपस्थिति से स्पष्ट हुई हैं।

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